हरियाणा की पारम्परिक वेशभूषा-Haryana ki veshbhusa-Haryana Traditional Dress
Male Traditional costumes पुरुषों की पारम्परिक वेशभूषा
- धोती इसका प्रयोग पुरुष और स्त्री दोनों करते है ये कमर के नीचे भाग पर पहनी जाती है
- कुर्ता गोल बाहो का पुराने रिवाज का कुरता -अब नए कुर्ते इससे अलग है
- कमीज कालरदार कमीज
- खंडवा साधारण पगड़ी
- साफा पगड़ी सैनिकों की तरह
- पागड़ी मारवाड़ी ढंग की पगड़ी
- पाग राजपूतनी ढंग की बड़ी पगड़ी
- कमरी आधी आस्तीन की कटि तक की कमरी
- अंगरखा अंगरखा गणमान्य लोगो का निचे तक झूलता कलईदार पहनावा पुराने दरबारी ढंग का
- दोहर हाथ में कटे बारी दोहरे सूत्र की मजबूत बड़ी चादर है जो ओढ़ जाती है
- खेस मोटे सूत की मोटी चादर
- टोपी गांधी टोपी जैसी होती है
- रुई की कमरी रुई डालकर सिलाई की गयी कमरी इसी को मिर्जई कहते है
- लोई सर्दियों में पहनी जाती है खेस की तरह बूत इसका सूत पतला होता है
- गुलीबंद हरयाणा में मफलर को गुलीबंद कहते है हिंदी में
- घाघरी
- दामन – लाल और काले रंग का सूती घाघरा
- बोरदा – खद्दर के कपडे पर फूल छपा घाघरा
- लेह – नील कपडे पर पीले पात की कढ़ाई वाले कपडे का घाघरा
- चाँद तारा – खद्दर पर दूज के चाँद और तारे की छपाई वाले कपडे से बना घागरा
- समीज – कपडे के नीचे पहने जाना वाला कपडा (सूट के निचे)
- ओढ़ना – गोट गोटा लगी ओढ़ना
- चुंदड़ी यह लाल पल्लों और बीच में नीले रँगाई वाली पतली मलमल की ओढनी होती है
- दुकनिया – खद्दर के कपडे का गहरे लाल रंग का पीले धागे से कढ़ाई किया ओढना
- डिमास/डिमाच – रेश्मी ओढ़ना जोकि विवाह में चढ़ाया जाता है
- लहरिया – बँधायी पद्धति की रंगाई से तैयार किया ओढ़ना
- पीलिया लाल किनारियाँ का बीच से पीला पतले कपडे की बंधी रँगाई से तैयार ओढना
- फुलकारी ऊन से बनी डब्बीनुमा होता है
- छयामा पीले पात की आकर्षक कशीदाकारी से युक्त ओढ़नी
- कैर्री नील ख़द्दर पर लाल टीका वला घाघरा
- जम्फर शरीर के ऊपरी हिस्से में पहने जाने वाला
कोटी बाजू और बिना बाजू की जैकेट होती है
- फर्गल जाड़े में बच्चो को पहनाया जाने वाला टॉप जिनकी रंग बिरंगी झालर निकलती रहती है
- झुगला छोटे बच्चे का पहनावा
- फर्गल टोपी पीलिये में दी जाती है ये