हरियाणा प्रदेश में विभिन्न गणराज्य सभ्यता इतिहास से सम्बंधित सिक्के मुद्राये अभिलेख और स्तम्भ प्राप्त हुई है जिनकी विस्तृत जानकारी दी गयी हरियाणा में विभिन्न प्राचीन अभिलेख अलग अलग जिलों के विभिन स्थानों से प्राप्त हुए है जिनकी जानकारी निचे दी गयी है । Haryana Archaeology Department or बिभिन्न इतिहासकार ने हरियाणा में विभिन्न स्थान और विभिन्न इतिहासिक चीज़े प्राप्त की ।
Table of Contents
हरियाणा में प्राप्त इतिहास अवशेष अभिलेख
इस पेज पर
सिंधु सभ्यता से सम्बंधित अभिलेख
प्राचीन अभिलेख – Haryana ke abhilekh
करनाल
नौवीं शताब्दी का भोजदेव का पेहवा अभिलेख
लाओस देश के राजा का प्रशंसा अभिलेख
कुनिदो से संबंधित सिक्के
झज्जर – मोहनवाडी (विष्णु की मूर्ति)
कुरुक्षेत्र
दौलतपुर :- [मिट्टी की मोहर [ कई जगह हिसार ]
थानेसर :- अमिन – सूर्य स्तम्भ पर बनी मूर्ति
रोहतक :-
खोखराकोट :- योध्यकालीन सिक्के — बलराम की मूर्ति
इण्डो ग्रीक सिक्के
कुषाण कालीन मुद्राये
भिवानी
नौरंगाबाद [योध्य गणराज्य मोहरे ]
मिताथल (समुन्द्रगुप्त कालीन सोने व ताम्बे के सिक्के)
हवाकालीन सभ्यता के अवशेष
यमुनानगर
कपाल मोचन अधूरा अभिलेख
बाराखड़ी की लिखे अभिलेख
→ [ बूडिया सुध जगाधरी- कुणियों से संबंधित सिक्के ]
टोपरा अभिलेख | अशोक कालीन
शुंगकालीन सिक्के |
सिरसा
— पशुपति सम्प्रदाय अभिलेख
हिसार
जैन मूर्तिया – हाँसी, रानिया, सिरसा
अग्र जनपद के सिकके
अग्रोहा — मौर्यकालीन स्तूप व अवशेष
अग्रोहा (हिसार)– सूर्य देवी की मूर्ति
सात स्वरों वाला अभिलेख
गुजरी महल के स्तम्भ (8 लेखो वाला स्तम्भ )
सोनीपत फिजिलपुर शेष शैय्या पर विष्णु और हर्षकालीन ताम्र मुद्राए
फतेहाबाद → बादशाह हुमांयू का अभिलेख (आभूषण) (E)
शिव की प्रतिमा : – (बरवाला) हिसार
→ नौरंगाबाद (भिवानी)
बनावली :– जुता हुआ खेत, मिटटी के खिलोने, मिटटी का हल, अत्याधिक मात्रा में जौ
प्रतिहार, चौहान व तोमर शासक – ककराला (महेन्द्रगढ़) मोहनबाड़ी (झज्जर)
रामायण शलोकांकित —
यक्ष यक्षणियों की मूर्तिया → पलवल, हथीन, भादस, फरीदाबाद (सबसे प्राचीन मूर्तिया)
सबसे प्राचीन मुर्तिया :– यक्ष यक्षणियों की मूर्तिया
1200 यूनानी बेक्ट्राई – सोनीपत — आधे दिरहम
महात्मा बुद्ध
महात्मा बुद्ध की 2 संपूर्ण मूर्तिया शाहणवास (रोहतक) नौरंगाबाद
महात्मा बुद्ध की सिर की मूर्तिया (रोहतक, कुरुक्षत्र, गुडगाँव, मोहनवाडी )
पंचमुखी शिव की मूर्ति — पेहोवा
ये सब हरियाणा के अभिलेख है जिनकी जानकारी हरियाणा के इतिहास से मिलती है — Haryana ke abhilekh
सिंधु सभ्यता से सम्बंधित अवशेष
सिंधु सभ्यता की खोज 1921 में दयाराम साहनी ने की और मोहनजोदड़ो की खोज 1922 राखलदास बेनर्जी ने की ।
रेडियोकार्बन C14 जैसी विलक्षण पद्धति के अनुसार सिंधुघाटी-सभ्यता की तिथि 2350 BC से 1750 BC पूर्व मानी गई है.
हड्डपा सभ्यता की समाप्ति
जॉन वीलर के अनुसार :- आर्यो के आगमन से
मैक्समूलर के अनुसार :- बाढ़ के आने से
फतेहाबाद :-
स्थान | खोज | कब खोज हुई | प्राप्त हुआ |
बनावली | R.S बिष्ट | 1973-1977 | जुता हुए खेत मिटटी का बना हल बैलगाड़ी के पहिये के निशान मातृदेवी की मृण्मूर्ति अग्निवेदियों के साक्ष्य मुद्रा पर अंकित विचरित पशु ( जिसका धड़ सिंह की तरह और सींग बेल की तरह ) नगर सभ्यता :- शतरंज
|
कुणाल ( रतिया ) | J.S. खत्री और M.आचार्य | 1986 | दो शाही मुकुट सोने चांदी के सिक्के |
भिरड़ाना | L.S राव | 2003-2004 | सरस्वती नदी के तट पर स्थित |
हिसार :-
स्थान | खोज | कब खोज हुई | प्राप्त हुआ |
राखीगढ़ी ( भारत का सबसे विशाल टीला ) | अम्रेन्द्रनाथ | 1963 | गेहू चावल के साक्ष्य ईंटो के अन्नागार के अवशेष मृतकों के लिए लम्बे गड्डे में दफनाया जाता था । मानव खोपड़ी चित्रित मृदभांड टेराकोटा उद्योग शवदान के साथ कीमती समान दुविष्द्ती चेतांग नदी के किनारे |
भिवानी :-
स्थान | खोज | कब खोज हुई | प्राप्त हुआ |
मिताथल | सूरजभान | 1968 | ताम्बे की कुल्हाड़ी, चौपड़ बिसात के नमूने |
कैथल :-
स्थान | खोज | कब खोज हुई | प्राप्त हुआ |
बालू | सूरजभान | 1977 |
कुरुक्षेत्र :-
स्थान | खोज | कब खोज हुई | प्राप्त हुआ |
भगवानपुर | भारतीय पुरात्तव विभाग | 1975-1976 | कांच और ताम्बे की चुडिया |
दौलतपुर | भगवानपुरभारतीय पुरात्तव विभाग | 1975-1976 | मिटटी की मोहरे |
रोहतक :–
स्थान | खोज | कब खोज हुई | प्राप्त हुआ |
गिरावड़ | विवेक दांगी | 2006 | मृदभाड पकाने की 2 भट्टिया |
मदीना | मनमोहन कुमार | 2007-2008 | |
फरमाना ख़ास | विवेक दांगी | 2007-2008 | कब्रिस्तान के अवशेष |
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